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शीतल पेय दुकान (दोहे) |
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बाज़ारों में सज गयी, शीतल पेय दुकान
दही, लस्सी, छाछ संग, तन की मिटे थकान
तोड़ बर्फ़ गोले बने, मीठा सा रस पान
काला, खट्टा, संतरी, शर्बत का परिधान
हाट लगे बाज़ार में, फल ककड़ी मुस्काय
नींबू, कैरी का पना, गन्ना प्यास बुझाय
जौ के सत्तू घोलकर, मिश्री, दूध मिलाय
मटके का पानी, गला, तन शीतल कर जाय
खट्टी मीठी ज़िंदगी, शर्बत जैसे बोल
रिश्तों की कलियाँ खिले, फाग प्यार के घोल
गरमी सा तपने लगे, जब मन का संताप
रंग बिरंगी याद की, बर्फ़ घोलिए आप
प्रियवर शर्बत से लगे, खट्टे लगते तंज
माँ की शीतल छाँव में, सुख माटी स्पंज
ठंडी ठंडी ज़िंदगी, चुभे शुष्क व्यवहार
मीठा सा जलपान है, मित्रों का दरबार
खट्टी जब बातें लगे, कड़वे पत्राचार
मौन बर्फ़ को घोलकर, डाले प्रेम अचार
- शशि पुरवार
१ जून २०२४ |
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