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जलेबी |
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मीठा तनिक रसीला रखना
वलय जिंदगी का
गहरा है
एक कुरकुरा ऐंठन
सेवन करना सुनना इसकी बातें
गोल-गोल रस्ता चलकर भी
नहीं भटकना अनगिन रातें
ढाई-आखर प्रेम चाशनी-
डूबे अमरित सा
ठहरा है
कूट-पीसकर मैदा जैसी
इसी जिन्दगी में रस भरना
उभर पड़ें कितने ही छल्ले
जीवन तरल बहे बस करना
कठिन जिन्दगी चखे 'जलेबी'
के स्वादों का नद
लहरा है
पाँवों में जंगल आ उलझें
'जंगल जलेबी' चुनकर रखना
हाथों को घड़ियाँ पहनाकर
सपने पके सिरहाने, लखना
चखना स्वाद गुलाबी फल का
बहता जिह्वा पर
फहरा है
- शीला पांडे
१ अप्रैल २०२२ |
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