केसरिया गुलनार

 

 
लाल नारंगी रंग रंगीली
केसरिया गुलनार
मिष्टानों की वो महारानी
थाल सजी ज्यौनार

ज़रा कुरकुरी नरम-नरम सी
रस से भीगी गरम-गरम सी
दोना भर-भर खाये जी भर
किसको कैसी लाज शरम सी
रबड़ी में जो घुली-मिली सी
दूध में छल्लेदार

पाँव बंधाई घिरनी चरखी
गोल गोल यूँ घूमे फिरकी
मेले उत्सव की रौनक वो
बनी-ठनी मुँहलगी सभी की
अतरंगी इमरती सखी ने
मानी अपनी हार

जीवन भर गुणगान करे सब
जो चख लें इकबार जलेबी
भूल न पाये स्वाद अनूठा
खांड भरी रसदार जलेबी
चखने को फिर बूढ़े बच्चे
रोज़ करें मनुहार

- शशि पाधा
१ अप्रैल २०२२

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