मम्मी की होली की गुझिया, मेरे घर खाने आना
चुन्नू, मुन्नू, रामू, राधा, जल्दी-जल्दी आ जाना
छोटी सी मीठी सी गुझिया
सबको अच्छी लगती है
छोटे- छोटे कंगूरों की
डलिया इसमें सजती है
नाम सुनूँ मैं जब भी इसका
मुँह में पानी भर जाता
सोचूँ दौड़ूँ डिब्बा खोलूँ
कहाँ हाथ उसको पाता
बार-बार मम्मी से माँगूँ, तुम सब भी गुझिया खाना
मम्मी की होली की गुझिया, मेरे घर खाने आना
बड़ी सयानी मेरी मम्मी
कहती आ जाना नानी
होली के आते ही घर में,
सबको गुझिया है खानी
घेरा एक बड़ा बनता है
हम सब बैठें गोले में
आटा गूँथा रोटी बेली,
काम सभी का टोले में
चुपके से मैं चूरा खाऊँ, मम्मी को मत बतलाना
मम्मी की होली की गुझिया, मेरे घर खाने आना
छोटी हूँ मैं मम्मी मुझको
काम नहीं करने देतीं
घर भर-भर कर गुझिया खाये
होती गुझिया की खेती
सबसे ज्यादा गुझिया खाऊँ
यह मेरा मन करता है
डाँटेंगी मम्मी जी मुझ को
कुछ कहने से डरता है
बातें सारी मेरे मन की, पढ़ मम्मी का मुस्काना
मम्मी की होली की गुझिया, मेरे घर खाने आना
रहे सोचता मन ये मेरा,
रंग भरे सब दिन होली
धमा चौकड़ी घर भर में हो,
मुख पर बनती रंगोली
नानी- दादी को बोलूँगी,
माँ को मेरी समझाये
रानी बेटी प्यारी बेटी,
गुझिया खा कर इठलाये
पूरे साल बनाना गुझिया, सुन मम्मी का झुँझलाना
मम्मी की होली की गुझिया, मेरे घर खाने आना