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गुझिया के
गुंजल |
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अच्छे किसे नहीं लगते हैं
गुझिया के गुंजल
मावा, मेवा संग मीठापन
कुछ भीतर-भीतर
हुआ चाशनी में बाहर से
गुंझिया का तन तर
सबकी सम्मति से मिलता है
रस-उद्यम को बल
मीठी गुझिया संग चाट की
गुझिया हमजोली
लोटा भाँग चढ़ाकर आती
हुरियारी टोली
दाँतों के भीतर भी पहुँची
रंगों की हलचल
लाल, गुलाबी, हरे, बैंगनी
गाल गुलाल लिये
रस तो पिया अधर ने लेकिन
पाँव हुए रसिये
गंगासागर की लहरों को
ताके गंगाजल
-पंकज परिमल
१ मार्च २०२१
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