होली में गुझिया कहे

 

 
मैंने तो सबके लिए, दिल में भरी मिठास
होली में गुझिया कहे, इसीलिए हूँ खास

दौड़ रहीं हैं खुशबुएँ, इसके उसके द्वार
गरम-गरम गुझिया बनें, आये मुँह में लार

हो माँ की ममता भरी, भाभी का भी प्यार
सबको ही भाता बहुत, गुझियों का संसार

लड्डू, गुझिया, पापड़ी, रंग, अबीर, गुलाल
होली स्वागत कर रही, सजा सजाकर थाल

रंगों से थाली सजा, बसा हृदय ब्रजधाम
बरसाने में राधिका, खोज रही घनश्याम

- बसंत कुमार शर्मा
१ मार्च २०२१

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