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गुझियों की
सौगात |
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चटके टेसू फूल हैं, रंग खिले
चहुँ ओर
गुझियों की सौगात ले, आयी होली भोर
पकवानों के पर्व का, कोई जोड़ न तोड़
केसर वाले पाग की, गुझियां हैं बेजोड़
होली आयी साथ ले, इक मीठी सी याद
मुँह में है घुलने लगा, फिर गुझियों का स्वाद
चौके से आने लगी, ख़ुशबू बड़ी कमाल
चाची, भाभी, माँ तले, गुझिया मठरी लाल
भैया भाभी से कहें, सुन लो इक फ़रियाद
केसर का भी हो ज़रा, गुझियों में कुछ स्वाद
बेटी को माँ से मिली, टीप जड़ी यह बात
गुझियों में रखना सही, शक्कर का अनुपात
दादा दादी से करें, फिर-फिर ये मनुहार
गुझियों से मेरा अभी, भरा नहीं मन यार
फाग खेलने आ गए, सब के सब हुरियार
हुई भंग के रंग में, गुझियों की दरकार
मावा,मेवा से बनी, गुझिया खूब कमाल
बच्चे पीछे रह गए, बाबा खींचे थाल
है कोरोना की लहर, रखना होगा याद
दो ग़ज़ की रख दूरियाँ, लें गुझियों का स्वाद
- आभा खरे
१ मार्च २०२१ |
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