होली में गुझिया कहे

 

 
सब त्योहारों से अलबेला होली का त्योहार
गुझिया रानी बाट जोहती लेने को आकार

मैदा लाओ, सूजी लाओ, काजू और बदाम
जली अँगीठी चढ़ी कढाई, लगी तेल की धार

लड्डू बर्फी शक्करपारे भरे हुए हैं थाल
बिन गुझिया के सभी मिठाई लेकिन है बेकार

सराबोर है मीठी मीठी खुशबू से दालान
आँगन में भी लगे हुए हैं रंगों के अंबार

मन की गलियाँ हुई सुवासित, फूलों की बारात
गेहूँ की बाली गदराई करती है अभिसार

हुरियारों की टोली आये, नाचे गाये फाग
गुझिया पर ही नजर सभी की टिकी रहे हरबार

होली में ज्यों होती गुझिया मीठे की सरताज
नमकीनों के होते राजा भुजिया लच्छेदार

सोहन हलवा एक तरफ बैठा मटकाए नैन
ठुमक ठुमक कर मठरी बोले मैं भी हूँ इस पार

मिलकर खाएँ और मिटाएँ मन के सभी मलाल
केशर वाली ठंडाई
संग गुझिया मावेदार

- रमा प्रवीर वर्मा

१ मार्च २०२१

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