सौंधी की चिट्ठियाँ

 
 
चाय-पकौड़े सँग कुछ मीठी बातें भी हों
चलो आज बारिश का हम
आनंद उठाएँ

आओ मिलकर सौंधी की चिट्ठियाँ पढ़ें हम
कब से थमे हुए हैं थोड़ा और बढ़ें हम
अपनी-अपनी छतरी मन पर टाँग रखी जो
उसे उतारें बूँदों को
मन तक पहुँचाएँ

अलसायी आँखों में फिर से सपने ढूँढें
हँसे-मुस्कुराएँ खोये क्षण अपने ढूँढें
जीवन-नय्या की बातों को भूलें कुछ क्षण
बच्चों-सा बनकर
कागज की नाव चलाएँ

चलो किचन में मैं देता हूँ साथ तुम्हारा
बहुत व्यतताओं को तुमने है स्वीकारा
बहुत दिनों तक बेरंगी दिनचर्या झेली
आओ रंग सजाकर
इंद्रधनुष बन जाएँ

- राहुल शिवाय
१ जुलाई २०२४

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