चाट पकौड़ी वाले भैया

 
  ठेला लेकर फिर आए हैं चाट-पकौड़ी
वाले भैया

गरम तवा सिगड़ी के ऊपर, उस पर सिंकते आलू चाप
निकल रही आलू छोलों से, गरमा-गरम सुगंधित भाप
मुँह में पानी भर आया है, लगे लाइन में
छन्नू भैया

गरम कचौड़ी खुश्क समोसे, इठलाकर देते आवाज
चुक्खण मक्खण लल्ली आओ, मजा हमारा ले लो आज
इर्द-गिर्द ठेले के घूमे, राधाओं संग
किशन-कन्हैया

मठरी खस्ता बड़े मुँगोड़े, भजिये ठोक रहे हैं ताल
पेटिस खमण ढोकले चीखे, आओ मुझे खाओ तत्काल
इमली के पानी की फुल्की, मुँह में जाती
गप्प गपैया

पता नहीं क्यों चाट-पकौड़ों, की दुनिया है अब दीवानी
नाम सुना इमली अमचुर का, मुँह में झट आ जाता पानी
बैठे-ठाले उड़ जाते हैं, इस पर
ढेरम-ढेर रुपैया

- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
१ जुलाई २०२४

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