प्रेम-पकौड़े तल दो भाई

 
  नफ़रत की
लोहित मिर्ची पर गंगा-जमुनी लेप लगाकर
प्रेम-पकोड़े तल दो भाई

नए चुनावों की
गर्मी में हद से ऊपर चढ़ा प्रदूषण
मौसम बदला, बारिश आई, धुल जाएगा बढ़ा प्रदूषण
ऐसे में सब टूट पड़ेंगे, यदि तलने की
खुशबू आई

यही सियासत
चाह रही है, हो मंदिर-मस्जिद का झगड़ा
ध्यान हटे असली मुद्दों से, पनपे शाक-मांस का लफड़ा
ऊब चुकी है जनता इन से पाटो अब
ये गहरी खाई

चुने हुए जनता
के नौकर, काम करेंगे तब जनहित के
नित-निगरानी-जब-इन-सब-की,-कर-पायेंगे-हम-मिलजुल-के
याद रहे बस इतना सबको, भारतमाता
सबकी माई

- धर्मेन्द्र कुमार सिंह
१ जुलाई २०२४

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