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गरम पकौड़ा |
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मुक्तक
गरम पकौड़ा, गरम कचौरी, गरम समोसा, खाए जा
चटनी खट्टी, प्याज-मिर्च ले, खा खा कर मुस्काए जा
कुल्हड़ में ले, कॉफी-चैया, गरम पिओ चुस्की ले ले
मन की बातें जी भर कर ले, जन की बात भुलाए जा
जनमत सवैया
थाम कढ़ैया बेसन घोलो
तलो पकौड़ा बेचो भैया, रोजगार है
लाखों खर्चो पाओ शिक्षा
पेपर आउट माँगो भिक्षा, समाचार है
करो प्रदर्शन, अंधी सत्ता, कुचल-रौंद
बुलडोजर पेले, दुराचार है
जनमत सीट घटा, दिखलाए ताकत-ठेंगा
चेतो-सँभलो मिली हार है- संजीव सलिल
१ जुलाई २०२४ |
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