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एक बार देखो |
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पंखियों सी
डोलती हैं पत्तियाँ
एक बार देखो
कीमती 'डलबर्जिया' की
धाख दमखम शाख ऐसे
लौह तन मन शाखुओं-सा
वृक्ष ऊँचा खास, वैसे
पीत वर्णी पुष्प साजे
खिल रहे सुकुमार देखो
शीशमों की घन कतारें
अर्क, औषधि, गंध थामे
चौखटों, घर, खिड़कियों में
मानवों हित सूख, जामे
पलँग, कुर्सी, पालने में
पल रहा संसार देखो
चिर पुरानी आयु महती
घन वलय में ठोस छाती
मान देकर, जान देकर
प्रीत पाता प्राण घाती
काठ तन में मन रसीला
प्रीत का अम्बार देखो
आवागमन में
सर्जकों की
यज्ञ की आहूति छोटी
पोषते मिल सृष्टि, पादप, मनुज
सूरज, चाँद-गोटी
पाँव में गति चक्र साधे
जीव का अभिसार देखो
- शीला पांडे
१ मई २०१९ |
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