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ओ रे शीशम
 
ओ रे शीशम!
सुनो, सुना दूँ
अपने मन की बात
तुझसे सजता पीहर अँगना
तू मीठी सी याद

संग संग ओढ़े पहने मौसम
धूप दुपहरी झेली
संग तेरे ही बीता बचपन
छाँव तेरी में खेली
कैसे तुझे भुलाऊँ मीता!
उम्र बिताई साथ

याद मुझे वो बिजली-अंधड़
मैं डरती, तुम हँसते
पत्ती दोने बारिश पीते
बूँद बूँद फिर झरते
माँ कहती तुम दाता दानी
अंग अंग सौगात

धूली- माटी फाँकी तूने
सूखे न मुरझाए
पतझड़ गर्मी आते जाते
सदा रहे हरियाए

तेरी डारी चैन से बीते
पंछी के दिन रात

- शशि पाधा
१ मई २०१९

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