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शीशम के वन
 
यादों में आए हैं
शीशम के वन!

पत्तियाँ हैं
चारा चरते मवेशी!
पेड़ हुए इनके गोया लीगेसी!
इच्छा हैं समिधाएँ
हो रहा हवन!

लकड़ी
इमारती हवेली का काम!
घने घने वृक्ष में सिमट गई शाम!
शीशम के कन्धों पर
खड़ा है भवन!

- अविनाश ब्यौहार

१ मई २०१९

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