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घर - बेघर
 
जिस जमीन पर
मैं बनाता हूँ घर
चिड़िया बनाती है
घोंसला शीशम पर
चिड़ियाँ
भर देती हैं चह-चह से
शीशम का
एकान्‍त

घर की चौखट से
यदा-कदा सुनायी देती है
दरवाजे की च्‌रर-मर्‌र
घर के बाहर
शीशम का पेड़
नहीं है अपनी
जगह पर

- डा. गंगाधर ढोके
१ मई २०१९

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