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तुम शिरीष
के फूल |
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तुम
शिरीष के फूल
और हम पूरे देहाती
परिभाषा रंगीन नशीली
हमें नहीं भाती
रेशा-रेशा देह तुम्हारी
पोर-पोर मादक, मनुहारी
सतरंगी नभ में टाँके हैं
नखत, नेह-पाती
कोमल कली आँख शर्मीली,
सरगम छेड़े साँस रसीली
काया की माया लुक-छुपकर-
मन को भरमाती
जोगी सा जीवन मस्ताना
जीभर हँसना और हँसाना
जलकर देखा जग का सपना
बिना तेल-बाती
- उमा प्रसाद लोधी
१५ जून २०१६ |
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