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करता सिरस कमाल
 

लहक उठी है जेठ की, नभ में उड़ती धूल
कालजयी अवधूत बन, खिले सिरस के फूल


चाहे जलती धूप हो, या मौसम की मार
हँस हँस कर कहते सिरस, हिम्मत कभी न हार


लकदक फूलों से सजा, सिरसा छायादार
मस्त रहे आठों पहर, रसवंती संसार।


हरी भरी छतरी सजा, कोमल पुष्पित जाल
तपकर खिलता धूप में, करता सिरस कमाल


फल वृक्षों के कर रहे, मौसम से अनुबंध
खड़खड़ करती बालियाँ, लिखें मधुरतम छन्द

- शशि पुरवार

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