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          रजनीगंधा प्यार तुम्हारा

 

 

रजनीगंधा प्यार तुम्हारा

दिल खुशबू से भर जाती हो
तुम रातों को महकाती हो
भीनी-भीनी गंध लुटाकर
पुरवा गंधित कर जाती हो
साँसों में खुशबू की धारा

साँझ ढ़ले तुम फूल खिलाती
सुरभित तन-मन को कर जाती
मन जब तुझमें खो जाता है
मंद प्रभंजन में मुस्काती
तेरा सौरभ गीत हमारा

रातों की तुम तो हो रानी
जिसका कोई नहीं है सानी
सबकी रातों को महकाती
ऐसी कैसी मन में ठानी
तेरा जीवन सबसे न्यारा

- सुरेन्द्र कुमार शर्मा
१ सितंबर २०२१

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