१
देखो पेड़ कदंब के फिर महके हैं
सोने जैसे पीले फूल खिले हैं
लेकिन हमदम तुम हो जाने कहाँ पर
आ जाओ अब मौसम भी बदले हैं
२.
बारिश मे फैली है खुशबू हर सू
बूँदों में है जैसे कोई जादू
गिरते फूल कदंब के जब रस्तों पर
मिट्टी से भी आती है फिर खुशबू
३.
गेंदों से ये पीले फूल कदंब के
गोरी राधा के कोमल सपनों से
सांवल शाखें किशना की बाहों सी
इन बाहों मे राधा झूला झूले.
--सतपाल ख़याल
१३ जुलाई २००९ |