वर्षा ऋतु में
फले फूले कदम्ब
सुगन्ध फैलेकदम्ब फूल
गोल गोल धरा-सा
महके खूब
झूला झुलाए
कदम्ब की डारियाँ
स्वप्न में झूमी
कदम के नीचे
मिले बिछुड़े प्रेमी
अद्भुत है माया
खिला कदम्ब
देवों पर चढ़ता
मिले समृद्धि
पूजा अर्चना
औषध और इत्र
गुणी कदम्ब
--मीनाक्षी धन्वंतरि
१३ जुलाई २००९ |