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कड़ी धूप
में
मशाल लिये खड़ा
तन्हा पलाश ।
-कमलेश भट्ट कमल
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दहक उठा
पूरा पलाशवन
आया फागुन ।
-डा० रामसनेही लाल शर्मा यायावर
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फूल पलाश
खिल कर कहते
जग रंगीन
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धरा पे गिरे
ढेर सारे पलाश
फूलों की सेज
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ढेरों पलाश
खिल खिल उठते
वन रंगीन
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वन की आग
बसंत का मौसम
फूल पलाश
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टेसू के फूल
शिव के मन भाएँ
चलो चढ़ाएँ
--ऋता शेखर मधु
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शृंगार किये
आ ख़डा है बसंत
टेसू नारंगी
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आभा नारंगी
छाई हरे वन पे
पलाश खिले
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रक्तिम मुख
लिये खडा पलाश,
सूर्य रश्मि सा
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खिल गए हैं
कई सूरज आज
पलाश वन
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अग्नि लपट
सौम्य सुशील खड़ा
देखो पलाश
--अरविंद सिंह चौहान |