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टेसू
के फूल |
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इच्छाओं के तन पर
अनचाहे फूलेंगे, टेसू के फूल
बीती दुहरायेंगे, तन मन भरमाएँगे
प्राणों को छू लेंगे, टेसू के फूल
धूप की चिरैया,
अमराई के आँगन में फुदकेगी गाएगी,
बँसवट के कानों में,
उम्र चढी हवा, प्रीति के स्वर दुहराएगी,
दृग में तिर जाएँगे,
पानी में उतराते, जोड़े सुरखाबों के
महुए की डाल,
झुकेगी, परिचित बाँहों सी, बाँहों तक जाएगी,
आसपास झूमेंगे
सुधियों को चूमेंगे,
नयनों में झूलेंगे, टेसू के फूल,
इच्छाओं के तन पर,
रह रह पुरवाई के काँटे चुभ जाएँगे,
आँखों में,
बझे हुए खालीपन के, अनगिन बिरवे अँखुवाएँगे,
सूनापन डोलेगा,
आँगन दहलीजों के बन्द द्वार खोलेगा,
अमलतास के पत्तों से झरते चन्दन॰ क्षण,
लौट नहीं आएँगे,
प्यास को उगाएँगे
सांस में समाएँगे,
जन्म भर न भूलेंगे, टेसू के फूल,
-डॉ. विनोद निगम
२० जून २०११ |
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