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टेसू
सा खुशहाल
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जीवन का है सफर सुहाना सैर
करो,
पढ़ो प्यार के गीत मीत ना बैर करो।
पग-पग पर राहों में मिलते हैं काँटे,
पतझड़ को भी टेसू सा खुशहाल करो
आशाओं के पंखों में उड़ना सीखो,
जीवन की गोधूली में चलना सीखो।
संभल संभल कर जीवन में संगीत भरो,
पतझड़ को भी टेसू सा खुशहाल करो
लोकतंत्र का मंत्र पढ़ो तो तंत्र बने,
टेसू सी खुशियां जनता का मंत्र बने
भटक राह से विलग न हो पथ के साथी,
पतझड़ को भी टेसू सा खुशहाल करो
भटकन को पल-पल है मिलती राह यहाँ
भ्रष्टाचारी घुन का है सैलाब यहाँ
बेमौसम रिश्तों में छाता है पतझड़
पतझड़ को भी टेसू सा खुशहाल करो
हिंदुस्तानी हो हिंदी की बात करो
मीरा, कबिरा, तुलसी का गुणगान करो
शब्दों की पतवार चलाओ सतरंगी
पतझड़ को भी टेसू सा खुशहाल करो
अतुल चंद्र अवस्थी
२० जून २०११ |
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