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नीम की पत्तियाँ
 

 

हम हुए आजकल नीम की पत्तियाँ
लाख हों रोग हल नीम की पत्तियाँ

गीत  गोली  हुए  शेर  शीरीं  नहीं
कह रहे हम ग़ज़ल नीम की पत्तियाँ

खून का घूँट हम, खून वे पी रहे
स्वाद देंगी बदल नीम की पत्तियाँ

सुर्ख संजीवनी हों सभी के लिये
हो रहीं खुद खरल नीम की पत्तियाँ

आग की लाग हैं सूखते बाँसवन
अब न होंगी सजल नीम की पत्तियाँ

वक्त हैरान हिलती जड़ें बरगदी
सब कहीं बादख़ल नीम की पत्तियाँ

एक छल है गुलाबी फसल देश में
दरअसल हैं असल नीम की पत्तियाँ

-रामकुमार कृषक
२० मई २०
१३

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