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चाँदनी में नीम
 

 

चाँदनी में नहा रहा है नीम
मन ही मन मुस्कुरा रहा है नीम

ख़ुशबुओं को पवन-झकोरों से
और नज़दीक ला रहा है नीम

चुप है धरती, ख़मोश अम्बर है
सबको लोरी सुना रहा है नीम

दाद देती हैं टहनियाँ झुककर
फिर ग़ज़ल गुनगुना रहा है नीम

ऐसी क़द्रें कि जिनसे हम, हम थे
याद फिर से दिला रहा है नीम

-राजगोपाल सिंह
२० मई २०
१३

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