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उनका जो नीम है
 

 

सोंधी खुश्बू लिए हर सुबह
हर शाम नीम महकता
उजली पत्तियों के साथ

सफ़ेद फूलों पर बैठते भवरों को
मालूम नहीं
कि इंसान के लिए वो कड़वा है
सुंदर चिड़ियों को नहीं पता
वे जिस पर झूलती हैं
उसमें कोई कसैली गंध है
तितलियों को अंदाजा नहीं
वो जिस पर बैठ
ख़ुश हो रही है
इंसान उसे नीम कहते है

तितलियाँ भँवरे और चिड़ियाँ नहीं जानते
काटना, तोड़ लेना और इस्तेमाल करना
क्यों कि वे इंसान नहीं
वे जीव है
और एक दूसरे जीव को पहचानते हैं
वे नीम की दवा नहीं बनाते
बल्कि उसका इलाज करते हैं
उसे जीवन देते हैं
उनका जो नीम है
जो कड़वाहट लिए जीता है
ताकि बाकी सब मीठा बना रहे

-पूर्णिमा वत्स 
२० मई २०
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