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कहें कुटज के फूल

 

हमको भी पहचानो मानव
कहें कुटज के फूल

छोड़ बाग उपवन की शोभा
जंगल को अपनाते
उबड़ खाबड़ सख्त पहाड़ों
पर भी ये उग जाते

गुच्छ गुच्छ में उल्लासित हो
रहें कुटज के फूल

माना इनका पेड़ है छोटा
गुण लेकिन भरपूर
कई रोग इनके सेवन से
रहते हमसे दूर

रूप चमेली के फूलों सा
गहें कुटज के फूल

काले और श्वेत दोनों ही
रंगों के मिलते हैं
प्रतिकूल मौसम हो चाहे
फिर भी ये खिलते हैं

करते जनकल्याण नहीं कुछ
लहें कुटज के फूल

फूल, तना, जड़, बीज सभी कुछ
करे दवा का काम
फिर भी इनके नाम से मानव
अब तक हैं अनजान

गुमनामी का दंश भला क्यों
सहें कुटज के फूल

- रमा प्रवीर वर्मा  
१ जुलाई २०१९

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