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रवि उपासक कुटज हूँ

 

खिलखिलाता पुष्पधारी
पर्णपाती वृक्ष हूँ मैं
फला फूला शैल वन में
अश्विनी समकक्ष हूँ मैं
आस्था की इक उपज हूँ
रवि-उपासक मैं कुटज हूँ

श्वेत-काली जातियाँ हैं
शुद्ध तन सर्वांग हूँ मैं
मंजरी सौन्दर्य ओढ़े
ललाम औ" निष्काम हूँ मैं
आयुर्वेदों का गुणज हूँ
रवि-उपासक मैं कुटज हूँ

वल्क हो मोटी भले ही
सादगी का बिंब हूँ मैं
कद नहीं है आसमानी
लघुपयोगी कुलिंग हूँ मैं
वन्य-वृक्षों का अनुज हूँ
रवि-उपासक मैं कुटज हूँ

पुष्प गुच्छेदार सज्जित
पर्ण भी सुविशाल मेरे
तत्व-औषधि से भरे हैं
मूल फलियाँ छाल मेरे
धनवन्तरि की ही गरज हूँ
रवि-उपासक मैं कुटज हूँ

- ओंम प्रकाश नौटियाल  
१ जुलाई २०१९

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