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क्यों जी, कमल जी |
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क्यूँ जी कमल, बड़े उजले हो...
गुलाबी रंगत, पीली रंगत, सफेदी भी बहुत है
खुद तो कहीं भी आ उगते हो पानी में
कीचड, तालाब, कहीं पर भी
कभी एक टांग पे खड़े रहते हो
कभी पालथी लगाकर बैठ जाते हो
कभी करते हो नाच मोमबत्ती की लौ की तरह
सुना है पानी में ही राजपाठ है तुम्हारा
एक बात तो बताओ,
फिर खुद पे पानी क्यूँ नहीं ठहरने देते
--धीरेन्द्र सिंह
२१ जून २०१० |
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