फ़जाएँ मुस्कुराती हैं जहाँ कचनार होता है
हवाएँ गुनगुनाती हैं जहाँ कचनार होता हैकभी
छालों कभी पत्तों कभी फूलों के सेवन से
बलाएँ भाग जाती हैं जहाँ कचनार होता है
झुलसकर धूप में राही ठहर जाता है साये में
दुआएँ दिल से आती हैं जहाँ कचनार होता है
इसी का फूल जूड़े में लगाती हैं जहाँ वादी
दिशाएँ गीत गाती है जहाँ कचनार होता है
किसी के हुस्न की उपमा किसी कचनार से करके
सदाएँ लौट जाती है जहाँ कचनार होता है
पहाड़ों में भी चर्चा है शुरू से आज तक 'घायल'
घटाएँ झूम जाती है जहाँ कचनार होता है
राजेन्द्र पासवान घायल
१६ जून २००८
|