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खुशियों के हरसिंगार

 

मन के द्वारे पर
खुशियों के
हरसिंगार रखो.

जीवन की ऋतुएँ बदलेंगी,
दिन फिर जायेंगे,
और अचानक आतप वाले
मौसम आयेंगे,
संबंधों की
इस गठरी में
थोडा प्यार रखो.

सरल नहीं जीवन का यह पथ,
मिलकर काटेंगे ,
हम अपना पाथेय और सुख, दुःख
सब बाँटेंगे,
लौटा देना प्यार
फिर कभी,
अभी उधार रखो.

त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१८ जून २०१२

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