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झरते हरसिंगार

 
 
उजसित शैशव जीवन सुरभित
हुलसित मन आगार
शेफाली शाखों सा झूमे
झरते हरसिंगार

मलयानिल सुरभित नासाग्रा
होंठ वसन्ती कोंपल
पल पल पुलकित स्पर्शों से
हस्त पाद मृदु कोमल
मृदुल मोहिनी शिशु किलकारी
वारी सब संसार

अखिल विश्व में नूतन अभिनव
ईश स्वयं धर रूप सलोना
डगमग धरता पग धरती पर
मानवता का भूप खिलौना
राग द्वेष से मुक्त
स्नेह ही जीवन का आधार

श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
१८ जून २०१२

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