  | 
			
			 डाल 
			डाल हरसिंगार   | 
		 
		
			|   | 
			
			
				
					
						 
						डाल डाल गमक उठे जैसे हरसिंगार  
						महका पलाश वन सुधि की बौछार  
						 
						कुमकुम भर मांग में  
						रस मधुर छंद सी  
						मतवाली देह हुई  
						नेह के निबंध सी , 
						साँस साँस समां गई फागुनी बयार  
						महका पलाश वन सुधि की बौछार  
						 
						एक छुअन गंधमयी  
						भीगा अंग - अंग  
						पोर पोर पुलक भरे 
						अनछुई उमंग , 
						छुईमुई प्रीतिपगी मधुमयी बयार  
						महका पलाश वन सुधि की बौछार  
						 
						अस्फुट से शब्दों के 
						भाव है अनंत  
						हरियाला सावन है  
						बाबरा बसंत , 
						शब्दातीत पुलकनों का चन्दनी खुमार 
						महका पलाश वन सुधि की बौछार  
						 
						--डॉ. मधु प्रधान   
						१८ जून २०१२ | 
					 
				 
			 
			 | 
		 
		 
         
       | 
     
   
 
		
 |