|
महका
हरसिंगार |
|
नूतनता लौट आयी सोलह सिंगार में,
आनंदित पोर पोर आज अपनी हार में,
सारी रात महका
हरसिंगार बाँह में
लघुतम स्पर्श का, अधिकतम कमाल
अश्रु करें नर्तन, दे स्वांस स्वांस ताल
दीवाने नूपुर हैं
मीरा के पाँव में
शरमाए अधरों पर, जोगिया विहान
बीते पहरों का दृग, लिखते विधान
ख़ुशबू ने यह चर्चा
फैलाई गाँव में
-भावना वैदेही तिवारी
१८ जून २०१२ |
|
|
|