१
श्वेत केसरिया कोमल सुन्दर
हो तुम सौम्य प्रतीक
नम्र भाव को
देख कर
भक्त हुए नत शीश
२
तन्मय होकर चुन रही
चेहरे पर मुस्कान
शिव की
करूँ आराधना
कर में हरसिंगार
-कुसुम ठाकुर
३
रात भर चमक कर
बुझ जाते हैं जुगनू
ज़मीन पर बिखर जाती है
हरसिंगार की ख़ुशबू
हर सुबह।
-राजेन्द्र कांडपाल
४
पारिजात
तुम्हीं तो हो मेरे सहजात
सौंप कर अँधेरे को खुशबू अपनी
बिखर जाना ही है
नियति अपनी
-उर्मिला शुक्ला
५
दुग्ध -उज्जवल
शेफालिका
कोमल केसरिया अंग
शशि किरण में बिखरा सौन्दर्य
देखूँ मैं अपलक
-शशि पुरवार
१८ जून २०१२ |