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हरसिंगार के पास

 

जब मिले थे हम 
हरसिंगार के पास 
वो खुशबू प्यार की थी 
या हरसिंगार की 
आज भी पता नहीं 
बस वो पल हैं जेहन में 
और फूलों की याद है 
न भूल पाऊँगी कभी 
न तुम्हारा प्यार 
न हरसिंगार 
आज भी चुन लेती हूँ 
जहाँ भी देखती हूँ 
ये फूल प्यार के 
नहीं छोड़ पाती इस मोह को 
न प्यार के 
न हरसिंगार के 
इनकी खुशबू से महक जाती है 
अब भी मेरी हर शाम 
आज भी इंतज़ार है 
वैसी शाम का 
जब तुम्हारा प्यार हो और 
बस सिर्फ हरसिंगार हो

रमा जयशर्मा
१८ जून २०१२

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