सिंदूरी पीले गुलमोहर
बाहों भर फूले गुलमोहर
दृग भर सूनापन
नजरों भर खामोशी
छज्जों भर यादें उड़ती गौरैया सी
धूप घुली शबनम भर
गीले गुलमोहर
सिंदूरी पीले गुलमोहर
दर्पण भर आकर्षण
बिंबों भर दूरी
और किनारों भर मिलने की मजबूरी
प्रतिबंधित अधरों पर
बोले गुलमोहर
बाहों भर फूले गुलमोहर
- विनोद निगम
१० अप्रैल २०१८ |