|
आये तुम खिल गये
आँगन में गुलमोहर
पोर-पोर
महक गई, अमराई बहक गई
शाखा से लिपट बेल इतराई लहक गई
तुम आये झूम उठी उमस
भरी दोपहर
थिरक रहा
मन सुगना, सगुनों की पांत लगी
न्योत रही सपनों को सौरभ से साँस पगी
अँगड़ाई नदिया तो नाच उठी
लहर -लहर
भाव भरी
वंशी के गीतों को प्राण मिले
राग के सरोवर में रस भीने सुमन खिले
छंदों के जादू ने बाँध
लिया यायावर
- मधु प्रधान
१५ अप्रैल २०१८ |