सुर्खियों के गीत की सरगोशियों से
गुलमोहर के फूल झरते हैं
छाँव की सुन्दर महकती छतरियाँ हैं
हम खडे मदहोश नीचे हैं
पाँव के नीचे हरितमा में गुँथे से
लाल फूलों के गलीचे हैं
ये प्रकृति के वो नजारे हैं अनोखे
लोग जिनको प्यार करते हैं।
धूप में तप कर झुलसते से पथिक को
ये विहल होकर बुलाते हैं
ये सहज शीतल हवा की थपकिया़ँ दे
फूल के पंखे झुलाते हैं
झूमकर अभिवादनीय देकर इशारा
ये सदा सत्कार करते हैं
आप इनसे बात करके देखियेगा
ये चहक बेबात कर देंगे
झूमकर अपनी खुशी जाहिर करेंगे
फूल की बरसात कर देंगे
ये हमारे आगमन का सिर झुकाकर
शुक्रिया आभार करते हैं
- कृष्ण भारतीय
५ मई २०१८
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