यूँ किनारे खड़े रहकर
देखते हो क्या
बताओ गुलमहर
लपक पड़ते हो
किसी गठरी उठाये
यात्री पर
झिरझिरा झन्ना लपेटे
किसी पगली
धात्री पर
सहन का संदेश देते
बोलते हो क्या
बताओ गुलमहर
स्वार्थी जन तोड़ देंगे
फूल पत्ते
और शाखें
और फिर उपदेश देंगे
देह में करके
सुराखें
किस तरह निपटोगे इनसे
सोचते हो क्या
बताओ गुलमहर
इस धरा पर
शांति बरसे
प्राणियों हित प्रार्थनाएँ
आग को ओढ़े
हुए तुम
सह रहे नित यातनाएँ
कर रहे विश्वास किन पर
जानते हो क्या
बताओ गुलमहर
- भावना तिवारी
२८ अप्रैल २०१८
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