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कैसे वह मुस्काएगा अब
 

देवदार की
आँखों के अब
सारे सपने टूट रहे हैं

असली तोते मरे झुलसकर
फल-तोते भी जलकर राख
हरी पत्तियाँ नहीं, भरी है
काली नोकों से हर शाख

ख़ुशियाँ बदलीं
मातम में अब
उसको अपने लूट रहे हैं

सीधे-सादे देवदार को
घुन तक नहीं काटना चाहे
लेकिन कोई छुटा रहा है
उसके सारे सुख के फाहे

कैसे वह
मुस्काएगा अब
उसके टखने फूट रहे हैं

- रावेंद्रकुमार रवि
 
१५ मई २०
१६

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