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आहत हैं वन देवदार के
 

कहाँ गए खंजन पुकार के
आहत हैं वन देवदार के

प्रकृति कर रही तांडव नर्तन
देख रहा हिमगिरि परिवर्तन
गंगा, यमुना सिमट रहीं हैं
बीत गए दिन तेज धार के
आहत हैं वन देवदार के

शीशम, शाखो, साल, सागौन
लुप्त हो रहे हैं चन्दन वन
अगणित औषधियों के पौधे
ग्रास बने अम्ली फुहार के
आहत हैं वन देवदार के

कितने सारे हंस खो गए
कई जीव निर्वंश हो गए
एक-एक कर विदा हो रहे,
सुख-दुःख के साथी, बहार के
आहत हैं वन देवदार के

- कृष्ण कुमार तिवारी   
 
१५ मई २०
१६

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