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नीला देवदार का वन है
 

नीला देवदार का वन है
जिस पर मोहित हुई पवन है

छाया के अधरों पर झुक कर
तरूवर करते मृदु-मृदु मर्मर
हिमगिरि में निदाध फैला है
सुखा रहीं हरिणियाँ बदन हैं
नीला देवदार का वन है

तोड़ हृदय की स्तब्ध अधीरता
पर्वत चीर विमुक्त जल गिरता
रूक दर्पण बन किसलय वन की
परियों के लखता आनन है
नीला देवदार का वन है

आधे ढँके चमन से लोचन
घुटनों पर तिरछा है आनन
शिथिलित भौंहे पिच्छल बाँहें
घन अलकों में बाँधे बँधन है
नीला देवदार का वन है

काँप उठा हरिणी का यौवन
हिलने लगा उठा बाँहें वन
पवन प्रपीड़ित लतिका-तन पर
किसका यह करती चिन्तन है
नीला देवदार का वन है

- चंद्रकुँवर बर्त्वाल  
 
१५ मई २०
१६

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