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देवदार मत काटिये
 

१-
देवदार मत काटना, छूने दो आकाश।
पत्ते-पत्ते पर लिखा, पौराणिक इतिहास।

२-
ऊँचे उठकर भी रहे, वे कितने शालीन।
देवदार के वृक्ष हैं, धीरज के कालीन।।

३-
देवदारु का पेड़ ज्यों, घर का चौकीदार।
रात-रात भर जागता, सोता है परिवार।।

४-
देवदार की पंक्तियाँ, शाखों का विस्तार ।
जैसे कोई डाल दे, दो बाँहों का हार।।

५-
संन्यासी जैसे करे, सबके हित व्यवहार।
देवदारु का वृक्ष भी, करता नित उपकार।।

६-
दूर तलक फैला हुआ, देवदारु का राज्य।
छत्रछाँह हमको मिली, ऐसा है सौभाग्य।।

७-
चट्टानों में भी रहा, देवदार का मान।
कठिनाई के सामने, अटल रहा सम्मान।।

८-
देवदारु की बाँह में, पंछी कई हज़ार।
भ्रष्टाचारी कर रहे, सपनों का व्यापार।।

९-
सीमा पर उत्सर्ग ज्यों, करते सैनिक प्राण।
देवदारु करता रहा,अंग-अंग परित्राण।

१०-
हँसकर जीवन में सहो,सुख-दुख दोनों पक्ष।
ताप-शीत से ज्यों लड़ें, देवदारु के वृक्ष।।

- डॉ. भावना तिवारी    
 
१५ मई २०
१६

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