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सुंदर छवियाँ देवदार की |
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वृक्ष-कतारें
हर मन भातीं, देवदार की।
सुन्दर छवियाँ खूब सुहातीं, देवदार की।
उन्नत हिम शिखरों पर बिखरी श्वेत रश्मियाँ
दृश्यों की माला पहनातीं, देवदार की।
हिम जैसा ठण्डा पानी है खूब छलकता
घाटी में नदियाँ बलखातीं, देवदार की।
शीतल-छाँव बिछातीं हरियल अन-गिन शाखें
बरबस आँखों में बस जातीं, देवदार की।
ऊँचे से गिरते झरनों के साथ पत्तियाँ
लहराकर ठण्डक फैलातीं देवदार की।
डूबी रहती हैं जब जब भी श्वेत धुंध में
दृश्यावलियाँ खूब लुभातीं, देवदार की।
भू खण्डों पर ऊँचे नीचे खूब फैलकर
पकड़ जड़ें मजबूत बनातीं, देवदार की
- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१५ मई २०१६ |
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