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बेला महके आधी रात
 

बेला महके आधी रात
किसने की गुपचुप ही बात

तितली फूल फूल पे डोले
अपने मन के भेद न खोले
भँवरा कलियों पे मडराये
गुनगुन गुनगुन कुछ तो बोले
आ न जाए बैरी बरसात

गुनगुन गुनगुन कुछ तो बोले
आ न जाए बैरी बरसात

बेला मंहके आधी रात
किसने की गुपचुप ही बात

सारे जग में गूँज रही है
वंशी धुन उनके अधरों की
काया पलट गई है देखो
गाँव गाँव नगरों नगरों की
झूम रहे हैं सबके गात

बेला मंहके आधी रात
किसने की गुपचुप ही बात

- सुरेन्द्र सुकुमार
१५ जून २०१५

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