|
अँगना बेला
महक गया |
|
बगिया क्यारी हुई सुवास
अँगना बेला महक गया
पी कर खुशबू पवन झकोरा
बौराया सा डोले
गीतों की गुंजन में भँवरा
प्रेम पिटारी खोले
गुनगुन सा मृदुहास
अँगना बेला चहक गया
चुन चुन कलियाँ मालिन गूँथे
कँगना, झूमर, गजरा
दर्पण देखे रूप, लजाए
नयनन आँजे कजरा
तन-मन था मधुमास
वेणी बेला लहक गया
जूही चम्पा रजनी गंधा
गुपचुप करतीं बातें
कौन हाट से लाई खुशबू
मोती सी सौगातें
पूनो छिटके हास
भीगा, बेला दहक गया
- शशि पाधा
१५ जून २०१५ |
|
|
|
|