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फूल बेला के
 

फूल बेला के तो यों ही
खिलते रहेंगे

मन की विकलता में
हृदय की सजलता में
श्वासों की गुंफन में
प्यारे की चितवन में

फूल बेला के तो यों ही
खिलते रहेंगे

प्रलय की गूँज में
अवचेतन की सूझ में
विजय के उद्घोष में
धरा के अवशेष में

फूल बेला के तो यों ही
खिलते रहेंगे

कलियों की चटकन में
भौरों की भटकन में
तितलियों के परों में
मलिया के करों में

फूल बेला के तो यों ही
खिलते रहेंगे

ब्याहता की बेणी में
जाति-पाति की श्रेणी में
नील घन की दमक में
प्रिय दर्पण की चमक में

फूल बेला के तो यों ही
खिलते रहेंगे

- कल्पना मिश्रा बाजपेई
१५ जून २०१५

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