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मैं तो एक मोगरा हूँ
 

ना मैं गुलाब हूँ ना मैं चम्पा
मैं तो एक मोगरा हूँ

ना कोई अलग अलग रंग मेरे
ना कोई विशेष काया
फूलों की स्पर्धा में
ना कोई पुरस्कार मेरा
सफ़ेद रंग पसंद मुझे
सीधी सादी मेरी काया

मेरे पास एक ऐसी महक
हर कोई आये मेरे पास
मदमस्त हो कर झूमे
दीवाना आलम सारा

पूजा की थाली में मैं
भगवान की शरणों में मैं
नयी दुल्हन मुझसे सजे
हर प्यार महोब्बत में निशां मेरे
सादगी मेरी
महक मेरी
फैले दिशा दिशा

ना मैं गुलाब हूँ ना मैं चम्पा
मैं तो एक मोगरा हूँ

- अश्विन गाँधी
२२ जून २०१५

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